केंद्र सरकार बच्चों द्वारा सोशल मीडिया का बढ़ता दुरुपयोग नियंत्रित करने के लिए नए कानून बनाने जा रही है। साथ ही, बच्चों को फेसबुक और WhatsApp जैसे साइट्स का उपयोग करने से पहले माता-पिता से अनुमति लेनी चाहिए होगा।
केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स 2025 के मसौदे के अनुसार, बच्चे का डेटा फिडिंग करने से पहले माता-पिता की प्रमाणित सहमति चाहिए। यह बच्चों को बहुत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का गोपनीयता दोगुनी सुनिश्चित होगी.
2023 में संसद ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून पारित किया। अंतिम रूप दिए जाने और घोषित होने पर नियम प्रभावी होंगे। 18 फरवरी, 2025 तक, केंद्र ने मसौदा नियमों पर लोगों से टिप्पणी मांगी और उनकी प्रतिक्रियाएं भेजें।
मसौदे के अनुसार, डेटा फिड्युसरी को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित संगठनात्मक और तकनीकी प्रक्रियाएं अपनानी होंगी कि बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने से पहले माता-पिता की प्रमाणित सहमति प्राप्त होगी। साथ ही, डेटा फिड्युसरी सुनिश्चित करेगी कि माता-पिता के रूप में खुद को पहचानने वाला व्यक्ति पहचाना जा सकेगा।
आपकी अनुमति के बिना आपके बच्चे सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और जरूरत से अधिक समय व्यर्थ नहीं बिताएंगे। दरअसल, बच्चों को सोशल मीडिया पर खाते बनाने से पहले उनके माता-पिता को केंद्रीय सरकार से अनुमति मिलनी चाहिए। यही नहीं, जानकारी मिलने पर ग्राहक मंजूरी वापस ले सकेंगे। इन नियमों को लागू करने के लिए केंद्रीय सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम का ड्राफ्ट जारी किया है। 18 फरवरी के बाद, इस ड्रॉफ्ट में बताए गए नियमों पर अंतिम निमय बनाने पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने DPDP नियमों के खिलाफ सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट लिखकर सलाह मांगी है। आज DPDP ड्रॉफ्ट पर चर्चा होगी。
डेटा भेजने से पहले सहमति लेनी चाहिए।
इस ड्राफ्ट के अनुसार, किसी भी कंपनी को भारत के यूजर्स से जुड़े किसी भी डेटा को निकालने से पहले सरकार से अनुमति लेनी चाहिए। नवीन कानून के अनुसार, बच्चों को सोशल मीडिया पर खाते बनाने से पहले माता-पिता से अनुमति लेनी चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि इस नियम को ठीक से लागू करने के लिए एक डाटा संरक्षण बोर्ड बनाने पर विचार किया जा रहा है। जो डिजिटल कार्यालय बन जाएगा। इस बोर्ड को डाटा चोरी की जांच करने का अधिकार मिलेगा। यह नियम लागू होते ही, कंसेंट मैनेजर्स को डाटा सुरक्षा बोर्ड में पंजीकृत करना होगा।
भी कहा जा रहा है कि सरकार इन नए नियमों को लागू करते ही डाटा में गड़बड़ियों की जांच करेगी। साथ ही, इसके लागू होते ही किसी को मिलने वाला नोटिस, कंसेंट मैनेजर का रिजस्ट्रेशन, बच्चों के व्यक्तिगत डाटा की प्रक्रिया, आदि की स्थिति भी स्पष्ट होगी।
वास्तव में DPDP Act क्या है?
केंद्र सरकार ने DPDP अधिनियम 2023 की धारा 40 (1) और (2) के अनुसार, इस ड्राफ्ट में सभी उपयोगकर्ताओं को अधिनियम लागू होने की तारीख को या उसके बाद बनाए जाने वाले प्रस्तावित नियमों का प्रारूप उपलब्ध कराया गया है।
क्या कुछ बदल जाएगा
यह ड्राफ्ट कहता है कि डेटा के लिए जिम्मेदार व्यक्ति भारत के कानूनों का पालन करने के लिए वयस्क होना चाहिए। Droff का कहना है कि डेटा केवल तब तक रखा जाएगा जब सहमति हो जाएगी और फिर हटा दिया जाएगा। यह कानून लागू होने पर सोशल मीडिया, गेमिंग प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स का डेटा दोषी होगा।