बैंकिंग अमेंडमेंट बिल 2024 मंगलवार (3 दिसंबर) को लोकसभा में पारित हुआ। इस बैंकिंग संशोधन बिल में बहुत से महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 और अन्य कानूनों में संशोधन होगा।
यह बिल लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था। इस बिल में कुल 19 संशोधन हैं। सरकार ने इस समय संसद के शीतकालीन सत्र में बिल को लोकसभा में पास करा दिया है।
नया कानून लागू होने के बाद एक बैंक अकाउंट में चार नॉमिनी शामिल हो सकेंगे।
नया कानून लागू होने के बाद, बैंक अकाउंट होल्डर अब चार नॉमिनी ऐड कर सकेंगे। इस बदलाव का उद्देश्य अनक्लेम्ड राशि को सही उत्तराधिकारी तक पहुंचाना है। मार्च 2024 तक बैंकों में लगभग 78,000 करोड़ रुपये का कोई दावा नहीं हुआ है।
सरकार बैंकिंग कंपनियों के अधिग्रहण कानून और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम में बदलाव या संशोधन कर रही है। इस बदलाव से सात साल तक दावा न किए गए डिविडेंड, शेयर, इंटरेस्ट और मैच्योर बॉंड को IEPF (इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड) में भेजा जा सकेगा। निवेशक इससे IEPF का दावा कर सकेंगे।
अब स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में भी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर्स काम कर सकेंगे।
अब राज्य को-ऑपरेटिव बैंक में भी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर्स काम कर सकेंगे। को-ऑपरेटिव बैंकों के डायरेक्टर्स के कार्यकाल को वर्तमान 8 साल से 10 साल कर दिया जाएगा।
चेयरमैन और होल-टाइम डायरेक्टर्स इस नियम से बाहर रहेंगे। सहकारी बैंक ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में सुविधा प्रदान करते हैं। अब सभी सहकारी बैंक RBI के अधीन हैं।
सरकारी बैंकों को टॉप लेवल टैलेंट को नियुक्त करने और ऑडिटर्स के वेतन निर्धारित करने का अधिकार मिलेगा। इससे बैंक की ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होगा।
2024 के बैंकिंग अमेंडमेंट बिल ने बैंकों को रिपोर्ट देने की समय सीमा में बदलाव करने की अनुमति दी है। अब 15 दिन, एक महीने और तिमाही के अंत में ये रिपोर्ट दी जा सकेगी।
इससे पहले, बैंकों को हर शुक्रवार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को रिपोर्ट देनी होती थी। 2024 में बैंकिंग अमेंडमेंट बिल में प्रस्तावित संशोधन निवेशकों और खाताधारकों की सुरक्षा करेंगे और बैंकों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाएंगे।